होम लोन ट्रांसफर करने पर बैंक नहीं मांग सकता फोरक्लोजर चार्ज

मुमकिन है कि आप अपना होम लोन शिफ्ट करना चाहते हों। लोन देने वाली नई संस्था मौजूदा बकाया पुराने बैंक को चुकाती है और इसे ग्राहक से ईएमआई के रूप में वसूलती है। होम लोन शिफ्ट करने के पीछे मौजूद वजहों में कम ब्याज दर, लंबी अवधि या अतिरिक्त राशि का टॉप आदि शामिल होते हैं। फाइनेंशियल सर्विस के क्षेत्र में इसे बैलेंस ट्रांसफर भी कहा जाता है।



बैंक लोन अब एमसीएलआर से लिंक होते हैं। 1 अप्रैल, 2016 से पहले लिए गए लोन बैंक के बेस रेट पर आधारित होते थे। वहीं, अगर आप एनबीएफसी या हाउसिंग फाइनेंस कंपनी में अपना लोन ट्रांसफर कर रहे हैं तो ध्यान रखें कि इनकी दरें फंडिंग कॉस्ट और मार्केट कम्पीटिशन पर निर्भर होती है, न कि एमसीएलआर पर।कम ब्याज दर पर लोन ट्रांसफर करना अच्छा वित्तीय फैसला है लेकिन पेंडिंग टेन्योर, बकाया राशि, जरूरी डॉक्युमेंटेशन, ट्रांसफर में आने वाली लागत पर विचार करना जरूरी है।



एमसीएलआर से लिंक लोन
अगर लोन देने वाली मौजूदा संस्था ज्यादा ब्याज दर की मांग करती है तो कम ब्याज दर के लिए किसी दूसरी संस्था को लोन ट्रांसफर करा लेना उचित होता है। आपको नए कर्जदाता को प्रोसेसिंग फीस चुकानी पड़ सकती है। लेकिन, यदि लोन व्यक्तिगत होम लोन श्रेणी का है तो आपका मौजूदा बैंक आपसे लोन बंद कराने (फोरक्लोजर) या फुल रीपेमेंट चार्ज नहीं मांग सकता है। साथ ही यह अनिवार्य नहीं है कि आपको नए कर्जदाता से लोन इंश्योरेंस कवर प्लान लेना पड़े। 1 अप्रैल, 2016 के बाद लिए गए लोन में एक साल के बाद ब्याज दरें फिर से तय की जाती हैं। लिहाजा, लोन ट्रांसफर का विकल्प ब्याज दरें फिर से तय होने के बाद चुनें। यदि आरबीआई रेपो रेट बढ़ाता है तो इसका एमसीएलआर पर प्रभाव पड़ेगा।



बेस रेट से जुड़े होम लोन
अगर लोन भुगतान की अवधि में ज्यादा समय शेष न हो तो आप बेस रेट पर दिए गए लोन को जारी रख सकते हैं। फिर भी अगर आप एमसीएलआर से लिंक लोन पर शिफ्ट करना चाहते हैं इसकी प्रक्रिया आसान है। इसके लिए तय फीस और न्यूनतम डॉक्युमंेंटेशन की जरूरत पड़ती है। लोन ट्रांसफर से पहले एमसीएलआर से जुड़े का आकलन कर लेना बेहतर होता है। ब्याज दर में गिरावट आ रही है तो एमसीएलआर रीसेट की तारीख को तिमाही या छमाही आधार पर तय करना फायदेमंद हो सकता है। हालांकि, इसके लिए जरूरी है कि आपका बैंक इसकी अनुमति देता हो। सभी पहलुओं पर विचार करने बाद आप अपने लिए सही फैसला ले सकते हैं। ट्रांसफर की प्रक्रिया की शुरुआत के लिए आपको मौजूदा बैंक से एनओसी और बकाया राशि का स्टेटमेंट लेना होगा। ये डॉक्युमेंट आपको नए कर्जदाता को देने होंगे। आपको यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रॉपर्टी से जुड़े सभी दस्तावेज नए कर्जदाता को ट्रांसफर किए जाएं। साथ ही लोन ट्रांसफर से पहले नए कर्जदाता की सभी टर्म्स और कंडीशन की पूरी जानकारी हासिल कर लें।